Friday, March 28, 2008

देखा जाता है

हम अक्सर उन चीजो से डरते हैं जो सोचने में खतरनाक होता है लेकिन वही हमें जीवन में वो तमाम खुशियाँ देता है जिसकी हमें दरकार होती है तो सबसे पहले हम अपने मन् से विचार का डर निकल दें तभी हम जीवन में नई सोच नई रौशनी पाते हँ

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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...