गति में भी जड़ता का सिधांत काम करता है। गति में रहते रहते हम इक तरह के रफ़्तार में जीने के आदि हो जाते हैं। इसलिए गति और बदलावों ज़िन्दगी में बेहद ज़रूरी है। परिवर्तन हमारे सोच, रहन सहन बोल चाल सब में दिखाई देता है। लेकिन आत्मविश्वास का डोलना कुछ देर के लिए हमें सोचने पर मजबूर करता है। हमारा आत्मविश्वास क्योंकर डोलता है ? किन हालत में हम अपने रह से विचलित होते हैं इसकी भी तहकीकात करनी होगी।
लेकिन इतना तो निश्चित है कि लाइफ में आत्मविश्वास तभी डोलने लगता है जब हम अन्दर से असुरक्षित महसूस करते हैं। इक दर हमारे अन्दर घर बनाने लगता है तब हम अपने से ज़यादा दुसरे पर विश्वास करने लगते हैं। किन्तु आत्मविश्वास का दोलायेमान अवस्था सही संकेत नहीं देते। यानि कहीं कुछ बड़ा घट रहा है। जब हम खुद ही विश्वासी नहीं हो पाते तो दुसरे के बारे में क्या कह सकते है।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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