Sunday, December 7, 2008

मंदी का असर

किस पर नही दिख रहा है मंदी का असर? सभी लोग चाहे वो छोटे रेतैलेर हों या बड़ी कंपनी सभी अपने यहाँ इसी का रोना रो रहे हैं। लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। यैसे में हर कोई डरे समाहे हैं। किस की गर्दन कटेगी कोई नही जानता।
जो लोग शादी करने वाले थे वो ज़ल्दी में कर रहे हैं ताकि अची लड़की मिल सके। नौकरी छुटने के बाद कोई नही पूछेगा। दहेज़ भी कम मिलेंगे।
दूसरी तरफ़ चहरे उदास हैं। काम में मनन नही लगता
प्यार में रोटी , नौकरी और लोगों के सवाल घिर गए हैं। क्या खाक प्यार के धुन कोई कैसे सुन सकता है। बाज़ार के चौतरफा मार को समझने के लिए अर्थ शास्त्र के साथ समाज शास्त्र को भी समझने होंगे। मनोबिगायण भी पढ़ना होगा।
क्या कुछ नही प्रभावित होता है। घर से लेकर दफ्तर तक काम से लेकर जीवन तक सब इस समय मंदी के निचे आ गए हैं।
बाज़ार जीवन रेखा को तै कर रही है। उधर सेंसेक्स पर उतर चढ़ होता है इधर जीवन के अहम् फैसले लिए जाते हैं।














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