Sunday, June 29, 2008

सिक्चो पर

तारें नही घूमते घूमते हैं आखों में झाकती उमीद भरी बातें
ट्रेन खुलने वाली थी माँ की आखें थीं की बस सब कुछ कह देना था इससे पहले
लोर आ आ कर कह जाते अन्दर की आह कब तक घर बसवोगे
उम्र जयादा कहाँ है
देख ले सफर पर निकलने से पहले

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