Monday, June 30, 2014

आओ किताब बनाएं


कौशलेंद्र प्रपन्न
क्यों न हम आज एक किताब बनाएं। कैसे बनाएंगे किताब? यह सवाल तुम्हारे मन में उठ रहा होगा। बहुत आसान है किताब बनाना। अलग अलग पन्नों को गूंथ कर या चिपका कर अपने लिए एक किताब बनाएंगे। पहले कई सारे पन्ने ले लो। उन पन्नों को बीच से मोड़ दो। इस तरह से आमने सामने खुलने वाली एक किताब तैयार होगी।
पुस्तक,किताब,ग्रंथ,बुक और भी कई नामों से हम लोग किताब को जानते हैं। पुस्तक का पुस्त यानी चमड़ा से बना है। पहले हम लोग चमड़े को सूखा कर उसपर लिखा करते थे। अलग अलग जैसे कागज पर लिखते थे उसी तरह से चमड़े पर लिखते थे। खुले होने की वजह से बिखरने का डर होता था। इसलिए इन्हें धागे, रस्सी आदि से बांध देते थे। वे तब आज जैसी किताबें देखते हैं उसी तरह पहले चमड़े की किताब बन जाती थी। उसी तरह ग्रंथ का मतलब हुआ गूंथना। अलग अलग कागजों, चमड़ों, ताड़ के पत्तों को एक धागे में गूंथ लिया करते थे। इस तरह से एक मुकम्मल किताब बन जाती थी। तुमने किताब तो देखी ही है।
किताब मंे क्या लिखेंगे या होगा। इसे तो तुम लोग खुद तय कर सकते हो। चलो आज हम एक कहानी की किताब बनाते हैं। इस किताब में दादी,नानी या मम्मी से सुनी कहानियों को सुंदर अक्षरों में लिखेंगे। जैसे प्रेमचंद की कहानी ईदगाह। तुम सबों ने पढ़ी होगी। इस कहानी में एक हासिद होता है। उसके कुछ दोस्त होते हैं। एक दादी होती है। बच्चे बाजार जाते हैं। वहां मेले में सभी कुछ न कुछ खिलौने खरीदते हैं। यह एक दृश्य हुआ मेले का। हम लो इस कहानी में चित्र भी देंगे। चित्र मेले की होगी। जहां जलेबी, गोल गप्पे, मिट्टी के खिलौने, मिठाइयां बेचने वाले होंगे। तुम्हीं में से कोई एक चित्र बनाएंगा। अब जब चित्र बन जाए तो हम कहानी के बीच में उस चित्र को चिपका देंगे।
तुम कोई और भी कहानी ले सकते हो। या कविता,चुटकुले की भी किताब बना सकते हो। इस किताब में तुमलोगों को जो कविता, चुटकुले याद हों उसे अपनी सुंदर लिखाई में लिख लो। हर पन्ने को सजाने का जिम्मा भी तुम्ही लोगों का होगा। देखा बन गई न एक सुंदर सी किताब। अब इसे अपनी क्लास में दूसरे दोस्तों को भी बांटो उन्हें भी पढ़ने में मजा आएगा।

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