तुम्हारी फैमली से गरीबी की बू आती है
न तुम पिज्जा खाते हो
न ही तुम खाना खाने बाहर जाते हो
कहते हो ज़माने के साथ चलता हूँ
पर ख़ुद कहो क्या खाक ज़माने के संग हो
न गाड़ी है
न ही घर
तुम्हारी फैमली से गरीबी की बू आती है
पसीना बहते तो हो
पर क्या कर पाए अब तलक
कहो चुप हो गए
तुम्हारी फैमली से गरीबी की बू आती है
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Friday, April 11, 2008
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