मुझ को भी इक दुम्म दे दो,
मैं भी डोलता फिरून,
आगे पीछे,
हर उन जगह,
जहाँ उचाही मिल सके.
जिनके दुम्म सुन्दर थे,
कोमल,
लहरदार उनको मिला,
जो उन्न्ने चाहा,
उम्मीद से ज्यादा उछाल.
मेरे से नहीं हिलाय्गे दुम्म,
जब भी देखता हूँ अपने दुम्म्म,
श्रम आती है,
हिलाना ही नहीं आता.
हे इश्वर!
मुझे भी दे न इक अदद दुम्म,
दिन भर हिलाता रहूँ
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