तुम्हारे जाने के बाद-
मालुम नहीं था,
अपने ही लोग,
नोच कर ले जायेगे,
तेरे जाने के बाद...
तेरी दी साडी,
गहने,
सब कुछ ले गए नोच कर,
जब बिस्तर पर रोऊ रही होती हूँ तो अब नहीं जागता पूरी रात कोई.
नल पर तुम्हारे संग,
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...
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