यूँ तो कई रिपोर्ट यह सच दिखा चुकी हैं की देश के लाखों बच्चे स्कूल तो जाते हैं लेकिन जहाँ तक तालीम की गुणवत्ता की बात है वहां वो बेहद ही कमजोर हैं. ५, ६ या ८ क्लास में पढ़ते हैं लेकिन वो क्लास १,२ के पथ पर फिसल जाते हैं.
इन्फोसिक या प्रथम की रिपोर्ट की माने तो देश के उम्दा स्कूल के बच्चे भी बेहद ही ख़राब शिक्षा पा रहे हैं. उन्हें किस तरह की शिक्षा मिल रही है इस और उस पार की झलक मिलती है की हम अपने बच्चों को की किस्म की शिक्षा दी जा रही है.
दाखिला तो बढ़ा है लेकिन शिक्षा की गुणवता देखते ही देखते नीचे जा चुकी है. उसे बेहतर करने में कोण अपनी बुमिका पहचानेगा. शिक्षक भी इसमें शामिल है. इसके साथ ही लोकल ऑथरिटी को भी अपनी जिमीदारी निभानी पड़ेगी.
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