Sunday, May 30, 2010

खाप की थाप सुन रहे हो मुन्ना? गोत्र के कूप में गिर रहे हैं हम

खाप की थाप सुन रहे हो मुन्ना? गोत्र के कूप में गिर रहे हैं हम , सुन रहे हैं कि तुम्हारे गावो में भी लड़के और लड़की को मौत के घाट उतर कर बुजुर्ग लोग खुश हैं कि गावों की नाक कट गई। कम से कम आने वाली पीढ़ी तो प्यार के रह पर कदम बढ़ने से पहले दस बार सोचेगी। मौत का खौफ इनके जेहन में बैठना बेहद ज़रूरी है। सुना तो यह भी है लड़की के बाप और भाई खुद मिल कर लड़की को रात में काट कर नहर में बहा आये? क्या यह सच है मुन्ना ?
पुरे गावों जेवार में उनकी नाक उची हो गई। और उनके बेतवा के लिए रिश्ता इक बड़ी ही मालदार घर से आई है। किसी ने आवाज तक नहीं उठाई कि बेटी के हत्यारे हैं। कल को बहु को भी वही हस्र कर सकते हैं जो बेटी को किया। इनको बेटा चाहिए छये कुछ भी हो जाये। आज कल सुनने में आया है बेटी को स्कूल भी जाने से मन कर दिया गया है। गावों के तमाम लड़कियां घर बैठ गई हैं। लेकिन बहु पढ़ी लिखी की मांग करते हैं। मुन्ना ये तो साफ ज्यादती है। तुम कुछ नहीं बोलते क्या? तुम तो ओज्फोर्ड से पढ़ कर आये हो जी। तुम से उम्मीद लगा रखें हैं। मगर सुना है तुम भी उनकी ही हाँ में हाँ मिला रहे हो। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि तुम वोट की खातिर यह सब कर रहे हो। का ई सच है ?
जब पढ़े लिखे लोग जवान खून भी पुराणी जर्जर और बुरी रीति की प्रशंसा करेंगे तो फिर गावों तो गावों शहर भी इससे बच नहीं पायेगा। कल्पना चावला, उषा , चाँद कोचर जैसे बेहतरीन महिला समाज को किसे मिल पाएगीं? कभी सोचा था कि अपने भतीजे की शादी मैं अपनी पड़ोस की उस लड़की के करायुन्गा जो बेहद ही शालीन और पढ़ी लिखी है मगर है नीची जाती की। मगर अब यह भी खाब ख्याब ही रह जायेगा। तुम्हारे गावों में तो मुझे घुसने भी नहीं देंगे। शादी किये मुझे तक़रीबन १५ साल हो गए। तब गावों भी पीछे धकेल आया था। मैं तेरी भाभी को किसे भी हाल में नहीं अलग कर सकता था सो हमने साथ रहने का वचन लिया। तुम तब छोटे थे। तेरी माँ ने हमें अपने पीहर में पनाह दी थी। जिसका परिणाम नुको अपनी जान से हाथ धो कर हमारी जान की रक्षा करनी पड़ी।
मैं अपनी भाभी का कर्ज दार हूँ। मैं उनके बेटे का घर यूँ उजड़ने नहीं दूंगा। तुम को जब भी मेरी मदद की जरुरत हो बेहिक आ जाना। गावों में रह कर न तुम बच सकते और न ही तेरे साथ की दोस्त ही। १६ सालों में बेशक दुनिया बदल गई हो। गावों में सड़क , बिजली पानी , टीवी और फोन आगये हों लेकिन लोगों को अभी भी उसी खोह में रहना भाता है। प्यार करना या अपने पसंद की लड़की को जीवन साथी बनाना सबसे संगीन जुर्म लगता है।
मैं अपना प्यारा भतीजा नहीं खोना चाहता। माँ जैसी भाभी नहीं खोना चाहता।
तुम्हारा
चाचू

1 comment:

newschakra said...

बहुत अच्छा लिखा सर, बहुत बहुत धन्यवाद। समाज के कथित ठेकेदारों पर इससे बढ़िया और क्या व्यग्यं हो सकता है।

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