ठाकरे का नया रार
ठाकरे रोज दिन कोई न कोई राग छेड़ते रहते है। कभी भाषा हिन्दी को टार्गेट बनते हैं तो कभी इन्सान को। लेकिन राग ज़रूर छेड़ते हैं। वरना उनको महाराष्ट्र में कोई याद भी करने वाला नही होगा। पहचान के लिए कभी चाचा तो कभी भतीजा मराठी मानुष का ज़हर बामन करते रहते हैं। यह उनकी मज़बूरी है के वो इसी तरह के एक्शन से कम से कम न्यूज़ में तो बने रहते हैं।
राग बाहरी पहले तो बाला साहिब ठाकरे ने है महाराष्ट्र में बुलंद किया था। लेकिन जब शरीर थकने लगा तो भारतीय परम्परा के अनुसार अपनी गद्दी पर भतीजे को बिराजमान कर दिया , उन्हें क्या पता था के अपना भतीजा चाचा के ऊपर इतना भरी पड़ेगा। इक दिन उनसे बड़ा पोवेरफुल्ल बन जाएगा। खलबली तो मचनी ही थी। सो बाला साहिब ने भी बुढ़ापे में खखार कर सचिन पर निशाना साधा। के वो खेल पर ध्यान देन राजनीति न करें। गोया राजनीति कुछ खास लोगों के घर के मुर्गी हो। जब चाह हुई दुह लिया। नही तो दुत्कार कर भगा दिया। सो सचिन को दी नसीहत पर पुरे देश में बाला साहिब के थू थू हुई। पर चमड़ा काफी मोटा है कोई असर नही पड़ता। इसी लिया तो महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने २१ नवम्बर को बॉम्बे स्टॉक एक्स्चंगे को धमकी दे डाली के इक वीक के अन्दर वो मराठी भाषा में अपनी वेब साईट बना ले।
दिन पर दिन मनस का मन बढ़ता ही जा रहा है।
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