कुछ शब्द हमेशा उगलता हूं-
तेरे लिए लिखता हूं,
रोज़ ही कुछ प्रेम भरे शब्द भेजता हूं,
ख़ाली शब्द नहीं मैं नहीं हूं।
हूं पूरा अर्थ तुम्हारे लिए-
नहीं जानता हूं कितना ज़रूरी तुम्हारे लिए,
मगर लिखता भी हूं सिर्फ तुम्हारे लिए,
गाता भी हूं तुम्हें ही।
मालूम नहीं हूं कितना तेरे पास-
मगर आस रही हमेशा,
तेरे प्यार को महसूसता,
बस इस उम्मीद में,
हूं कहीं न कहीं तुम्में,
शायद तुम मान न पाओ,
कहने ये भी डरो,
मगर सच ही है न,
कहीं तो हूं तुम्में।
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