Monday, January 27, 2014

आदरणीय यमराज जी,

आदरणीय यमराज जी,
सादर चरण स्पर्श। सबसे पहले तो मांफी मांगता हूं कि मुझे जिस तरह से स्कूल में पत्र लिखना सिखाया गया था उसी तरह लिख रहा हूं। और कौन कौन से संबोधन लिखने चाहिए इसका इल्म नहीं है मुझे। मैं आपको पत्र इसलिए लिख रहा हूं कि मुझे आपसे कुछ बात करनी है। आप चैंके नहीं। मैं नचिकेता नहीं हूं कि तीन वरदानों में आपसे आपकी नगरी का रहस्य मांग बैठूं।
आगे बात यह है कि यमराज जी आप कई बार बिना बताए बिना किसी सूचना के आधमकते हैं ऐसे में बहुत अफरा तफरी मच जाती है। बहुत से काम अधूरे रह जाते हैं। कितना अच्छा हो कि आप आने से पहले थोड़ी सूचना बरसा सकें। इससे कम से कम इतना तो हम कर ही सकते हैं कि थोड़ी तैयारी कर लें। मगर यह कहना भी उचित न हो क्यांेकि आपके बारे में यही सुना है कि आप बिना बताए ही आ जाते हैं। कोई सूचना नहीं कोई खबर नहीं। बस आपके भेजे दूत आते हैं और लेकर चले जाते हैं।
आईटी का जमाना का है। लैपटाॅप, आईपैड, वाइ फाई कई साधन आ चुके हैं। आप चाहें तो वाट्स एप्प, विवर, जैसे चैट माध्यमों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब तो विवर पर काॅल का भी पैसा नहीं लगता। आईएसडी हो या एसटीडी कोई काॅल बड़े आराम से कर सकते हैं। काॅल न सही कम से कम एक एसएमएस ही टपका दें ताकि दे सकें कि आप आने वाले हैं।
बुरा न मानें प्रभू होता क्या है कि आप जब अचानक आते हैं तब बुरा लगता है। इसलिए बुरा लगता है क्योंकि आपके साथ जाने के बाद कितनों के लिए उधार बिना चुकता किए रह जाते हैं। कितनों से किया गया वायदा यूं ही धरा का धरा रह जाता है। जिनसे उधार लिए हैं उन्हें चुका कर न जाओं तो खामखा बुराई करते हैं। क्या पता मेरे जाने के बाद मेरे परिजन उसे लौटाएं या नहीं। बिना वजह आप पूछेंगे कि फलां फलां को उधार कर के आए हो जाओं वापस और लौटा कर आओ। इसलिए प्रभू पूर्व सूचना दें तो इस तरह के काम निपटान में आसानी होगी।
मान्यवर! टापकी व्यवस्था में हजारों लोग काम कर रहे होंगे। मैं चाहता हूं कि वहां भी निठल्ला न बैठूं सो अपना सीवी भेज रहा हूं। आपके सिस्टम में कुछ काम मिल जाए तो मरना सफल हो जाएगा। मैं लेख, कविता, कहानी और साक्षात्कार आदि लिखता हूं। आप चाहें तो जिन्हें कविता पसंद हो उन्हें कविताएं सुनाउं। जिन्हें बोर करना हो तो ऐसी भी रचनाएं मेरे पास हैं जैसे जैसे लंबे लेख। जिन्हें सुन कर ही प्रताडि़त किया जा सकता है। सर जी डक्यूमेंटशन भी करता हूं। पूरे साल का लेखा जोखा फोटू सहित तैयार कर दूंगा ताकि आपको ज्यादा मेहनत न करनी पड़े। आपका दस्तावेजीकरण का काम भी बखूबी कर सकता हूं। आप कहें तो पीपीटी भी बना दूंगा प्रभू। सीधे उसको प्रेजेंट कर सकते हैं। उसमें विजुअल भी डाल दूंगा ताकि देखने वाले को पूरा का पूरा विश्वास हो सके। यदि आपके पास प्रोजेक्टर की व्यवस्था नहीं है तो ज़रा भी संकोच न करें प्रभू मैं अपने साथ लेकर आ जाउंगा। ओह! भूल गया था कि आपके पास खाली हाथ ही जाना पड़ता है सो मजबूर हूं। यह व्यवस्था तो आपको खुद ही करनी पड़ेगी।
हां एक बात और कहना चाहता हूं कि मैं रिपोटिंग भी कर लेता हूं। यदि चाहें तो आपके नगर वासियों को लाइव व प्रिंट रिपोर्ट भी मुहैया करा सकता हूं। आप कहेंगे तो किसी बड़ी हस्ती का इंटरव्यू भी ले लूंगा। बहुत साल अखबारों में गुजारे हैं सो इसका भी अनुभव है।
आपकी विश्वास पात्र

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...