अक्सर अपन मौत को कितना भयानक मानते हैं। बल्कि हम तो मौत को पास भी फटकने भी नही देना चाहते। हमारी कोशिश होती है के यह हमारे दुश्मन को ही भाय। बचपन से ही हमारे दिमाग में यह बात ठूस दी जाती है के मौत बड़ी ही डरावनी और दुःख से भरी होती है। जीवन से कहीं ज़यादा नजदीक मौत को हम याद कर लिया करते हैं। दरअसल मौत डरावनी नही होती, और न ही मौत भयावह ही होती ही। हम लोगों के दिमाग में न केवल स्कूल, घर, माता- पिता बल्कि धर्म भी मौत के बारे में सही सही जानकारी नही देते।
भारतीय दर्शन के अनुसार आत्मा का पुनर्जन्म नही होता। कुछ दर्शन मानते हैं की आत्मा अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेती है। मगर संख्या , योग , न्याय और चार्वाक दर्शन न तो पुनर्जन्म को मानती है और न आत्मा की कोई सत्ता ही स्वीकारती है। बलिक दर्शन का तो यह भी कहना है के अनु परमाणु आदि ही नही बल्कि हमारे शरीर में पाए जाने वाले सेल जब काम करना बंद कर देते हैं तब हमारा शरीर मृत मान लिया जाता है। आप इसे मोक्ष, निर्वान, मुक्ति जो भी नाम दे लें दरअसल शरीर को त्याग कर हमारी सासें यानि हवा, पानी , मिटटी, आकाश और आग इन पञ्च तत्वा में विलीन हो जाती है।
मौत जब की कितनी करीब होवा करती है इसका अंदाज़ा नही लगा सकते।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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