तेरे मन्दिर मेरे राम
सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक स्थल नही होना चाहिए। जो पहले से बन चुके हैं उसे गिरना यदि संभव नही तो कम से कम राज्य और केन्द्र सरकार कोर्ट को विश्वास दिलाये के सरकार किसी भी कीमत पर सार्वजनिक स्थल पर मन्दिर , मस्जीद, गुरुद्वारा आदि का निर्माण नही होने देगी। सरकार को इससे पहले भी कोर्ट ने इस बाबत आदेश दिया था मगर सरकार के और से बरती जा रही लापरवाही को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कड़े शब्द में कहा है सार्वजनिक स्थल पर धार्मिक प्रतिक यानी मन्दिर , मस्जीद आदि का निर्माण नही होगा। अगर एसा नही हुवा तो भुगता नही जाएगा।
सुप्प्रेम कोर्ट ने सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट को आगाह किया है। किसी को भी पब्लिक प्लेस पर धार्मिक स्थल निर्माण की इज़ाज़त नही होगी। अक्सर देखा गया है की मन्दिर या मस्जीद आदि के बहाने सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर लिया जाता है। शुरू शुरू में तो यह छोटे छोटे स्थर पर किया जाता है मगर जब लगता है की अब यहाँ मन्दिर बनाई जा सकती है तब सांसदों , अन्य अधिकारी के बल पर निर्माण कार्य शुरू हो जाता है । सरकार देखती ही रह जाती है उसके सामने पब्लिक प्लेस पर कुछ खास लोगों का कब्ज़ा हो जाता है। इतना ही नही जब इक बार मजार बन जाता है या की मन्दिर बन कर पूजा होने लगती है तब उस जगह को खली करना बोहोत मुश्किल काम होता है। समाज में मन्दिर, मस्जीद , गुरुद्वारा को ले कर आम जनता में खासे लगाव होता है। यदि कोई सरकार भी तोडना चाहे तो समाज में लोग विरोध करने उतर जाते हैं। इसे मुद्दा बना कर विपक्ष सरकार को घेर लेती है। मामला धर्म से जुड़ने के कारण कोई भी सरकार धार्मिक स्थल को तोडना नही चाहती। यही वो जमीन है जिस पर आम लोगो के पीछे चुप कर कुछ खास लोग जमीन पर कब्ज़ा करते रहते हैं। इसी प्रवृति को काबू में करने के लिए कोर्ट ने राज्य और केन्द्र सरकार को आदेश दिया है।
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