तुम वेद के मंत्र ‘...पद्भ्याम शूद्रो अजायत्’ पांव से पैदा हुए हो। तुम्हारा जन्म ही हमारी सेवा करने, मल मूत्र साफ करने के लिए हुआ है। अगर इस सफाई और सेवा में तुम्हारी जान भी चली जाती है तो जाए। मैन्यू कि?
सेना बॉडर पर मरते हैं, क्षात्र धर्म निभाते हुए मरते हैं। वे तो क्षत्रिय हैं। उनकी मौत मौत नहीं। वह शहादत है। तुम ठहरे चौथे पायदान पर। तुम्हारी मौत के लिए दो मिनट का मौन भी हमें गंवारा नहीं। उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तो कई बार तुम्हारी मौत पर सरकार को फटकार लगा चुकी है। लेकिन न तो सरकार जगती है और न नागर समाज।
तुम्हारी मौत कोई आतंकियों से लड़ते हुए नहीं होती। तुम्हारी मौत दुश्मन सेना की गोली से नहीं होती। तुम्हारी मौत होती हैसमाज की गंदगी साफ करते हुए। तुम्हारा योगदान ही क्या हैसमाज को? जो तुम्हारे लिए कोई आंसू बहाए।
तुम्हारा घर परिवार अंधेरे में जीता हैतो जीए। तुम्हारी मौत पर राखी का त्योहार ख़राब नहीं करता। तुम्हारे घर में मातम हो तो हो। हम तुमसे कहते हैंकल आना और सफाई कर जाना। त्योहार वाले दिन तो और भी गंदगी होती है।उसे कौन साफ करेगा।
मेन हॉल में जहरीली गैस होती हैतो हो। तुम्हें वही काम साजता है।हम विकास कर चुके हैं। हमारे पास दसियों फ्लाइओवर हैं। हमारे पास चमचमाते मॉल्स हैं। तुम्हारे पास क्या है। ले देकर साफ सफाई। वह चाहे तुम चिलचिलाती धूप में करे, सर्दी में करो या फिर बरसात में। तुम्हारे आस पास से बड़ी बड़ी गाड़ियां एसी की ठंढ़ी हवा पास करती चली जाएंगी। तुम्हारे हिस्से आएगा मेन हॉल में बजबजाती बदबू और कीचड़ में सना काला देह।
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संवेदना से परिपूर्ण
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