कौशलेद्र प्रपन्न
देश मेरा रंगीला और अपना उत्तराखंड़ प्यारा आदि गानों के साथ बच्चों में उत्साह देखने लायक था। इन बच्चों ने राष्टीय गीतों और अन्य गानों से मन तो मोह ही लिया साथ ही इनकी सहजता और भोलापन भी कमाल का था।
कणाताल, उत्तराखंड़ के सरकारी स्कूलों में कक्षा सातवीं और पांचवीं के बच्चों ने कविताएं भी सुनाईं। अंग्रेजी की कविता को धाराप्रवाह गा कर सुनाया। बस मतलब पूछा तो अवाक् रह गए। क्योंकि अर्थ शायद बताए नहीं गए। या फिर इन्हें अर्थ नहीं आते थे। थोडी मदद की कि इसमें कहा गया है कि मेरा उत्तराखंड़ प्यारा है। प्रकृति की गोद में सुंदर राज्य है। पेड़, पहाड़ बहुत प्यारे हैं। यहां के लोग हंबल, निश्छल और प्यारे हैं।
यहां की नर्सरी कक्षा की मैम रचना पोखरियाल से भी बात हुई इन्होंने कहा यहां पढ़ने की ललक बच्चों में दिखाई देती है। स्कूल आठ बजे का है लेकिन बच्चे सात बजे तक आ जाते हैं।
2 comments:
Keep sharing such experiences sir..!!
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