आतंकी किसी भी देश , धर्म, के हों मूल बात ये है वो महज आतंक ,खून , चीख- पुकार फैलाने में विशवाश करते हैं। चाहे वो सीमा पर की ज़म्मीन हो या भारत की हर जगह सिर्फ़ ब्लास्ट किए जा रहे हैं।
लोग रोते बिलखते हैं। मगर आतंकी इसको अपनी सफलता मानते हैं।
देश संकट में है। रोज कही न कहीं ब्लास्ट हो ही रहे हैं। इससे किस का मकसद सधता है ? रोटी तो मानवता ही है। पर क्या कहें , यूँ के घर परिवार में सदस्य होते हैं या नही ? पता नही पर दिल यूँतो होते नहीं होंगे ।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Sunday, September 28, 2008
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
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