उधर बिहार में बाढ़ में लोग जूझ रहे हैं इधर रामदेव के पहल पर पुरे देश के बड़े बड़े उद्योग घराने मदद के लिए आगे आ रही हैं। न केवल कम्पनी बल्कि राज्य सरकार भी मदद की राशिःबिहार भेजने में जुट गए हैं। सरकार के साथ ही सैनिक भी अपनी इक दिन का पेमेंट बिहार भेज रही हैं। संसद भी अपनी इक दिन का वेतन दे रहे हैं।
देखा गया है जब भी देश में विपत्ति का दौर आया है पुरा देश एक हो जाता है। बाढ़ से तबाह लोगो को देख कर आखे भर भर आती हैं। लोगो की जमीं छुट गई। घर छुट गए। बस जीने की आस उनकी आखों में झाकती हैं।
या रब उनको इस आपदा से उबार दे।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...
-
प्राथमिक स्तर पर जिन चुनौतियों से शिक्षक दो चार होते हैं वे न केवल भाषायी छटाओं, बरतने और व्याकरणिक कोटियों की होती हैं बल्कि भाषा को ब...
-
कादंबनी के अक्टूबर 2014 के अंक में समीक्षा पढ़ सकते हैं कौशलेंद्र प्रपन्न ‘नागार्जुन का रचना संसार’, ‘कविता की संवेदना’, ‘आलोचना का स्व...
-
कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...
No comments:
Post a Comment