क्या सोचते हैं जब आप खाली बैठे होते हैं ।।
अकसर हम बीते दिनों और गुजरे समय की घटनावो में डूबता उतरते रहते हैं। या यूँ कह लें की हमें बेहद पसंद होता है यह कहते रहना की तब मैं या था वो करता था ....
दरअसल हम अपने अतीत से निकल ही नही पाते हमें वो दिन ही याद आते हैं जो गुजर चुका है ।
कभी मौजूदा पेचोखम से रूबरू होने की हिम्मत जुटा कर हमें चल रहे समय की और आने वाले कल की चुनौतियें का मुयाना करना बेहतर होता है ।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Thursday, September 18, 2008
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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