खबर कूटने वाला जीव पत्रकार इक दिन खुद पेज पर स्टोरी में तब्दील हो जाता है। मुंबई से प्रकाशित मिड दे के स्पेशल खोजी टीम के अगुवा दे की शनिवार की हम गोली से भुन दी गई। दोष साहब उन्देर्वोर्ल्ड की जमीन की हलचल लोगो के सामने लाया करते थे। यहाँ तक की उनकी रिपोर्टिंग इस कदर प्रमाणिक होती कि मुंबई पोलिसे भी दांग रह जाती। यह ददयों के बस से बहार था कि कोई इस तरह उनकी अंदुरीनी पेंच जनता है। शुरू में धमकी फिर धमकी और अंत में मिली गोली......
इक इमानदार पत्रकार को खामोश कर दिया गया। आज पत्रकारिता के सिपाही वो नहीं रहे जो कभी पत्रकारिता के शुरूआती सफ़र में थे। उनने पत्र को हथियार की तरह इस्तमाल किया। उनको न धमकी न पेड़ खबर की धन्धेबाज़ अपनी रह से डिगा पते थे। लेकिन इक दौर यह भी आये जब पत्रकार और पत्र की साथ राजनीति और अन्दार्वोर्ल्क से हवा। तब कलम रिरियाने लगी।
पकिस्तान में भी पिछले दिनों शहजाद पत्रकार को आतंद के सरगना की बलि चदा दी गई । उस का भी दोष यही था। उसने भी आतंदी संगठन की अन्दर की बातें और प्लान आम कर रहा था। पत्रकार की निष्ठां और जीमेदारी क्या होती है कैसे निभायी जाती है यह इनसे सिखने की जरूरत है।
खबर जान की कीमत पर देने वाले पत्रकार की जरूरत आज ज्यादा है।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Monday, June 13, 2011
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
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