Friday, February 26, 2010

रंग प्यार के

बिन भेद वाले रंग,

जिस रंग में न हो भेद किसी कौम या कि धर्म कि,

रंग हो तो बस प्रेम और स्नेह कि,

क्या उस पर क्या उन पर सब पर,

रंग हो इक सा।

वह रंग न डाले-

कोई भी यैसे रंग जिस में,

दिख जाये उपरी प्यार कि,

मुस्कान।

आप सभी को रंग प्यार के मुबारक।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...