बिन भेद वाले रंग,
जिस रंग में न हो भेद किसी कौम या कि धर्म कि,
रंग हो तो बस प्रेम और स्नेह कि,
क्या उस पर क्या उन पर सब पर,
रंग हो इक सा।
वह रंग न डाले-
कोई भी यैसे रंग जिस में,
दिख जाये उपरी प्यार कि,
मुस्कान।
आप सभी को रंग प्यार के मुबारक।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...
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