इक आँख है पास जो हर समय
देखती रहती है
मेरी हर बात और हर कदम पर
हर बार चाहता हूँ
आँख की भाषा समझ सकूँ
पर हर बार हार जाता हूँ ।
आँख की बूंदें
पड़ी हैं
आस पास
पर कुछ न बोलते हुए भी
बहुत कुछ कहती हैं ।
आँख से चाँद बातें
टपकती हैं -
कहती हैं ज़रा समझो तो।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Monday, July 14, 2008
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
1 comment:
yah aapki khashiyat hai ki aap ekdam se at the moment kavita likh dete hain.
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