Saturday, March 24, 2018

कहानी जब औजार बन जाए



कौशलेंद्र प्रपन्न ं
मैनेजमेंट प्रोफेशनल अकसर कहानी के ज़रिए कुछ कहा करते हैं। सीधे सीधे सिद्धांत कहने की बजाए कहानी के मार्फत कहने की कला ख़ासकर श्रोताओं को लुभाया करती हैं।
कहना और प्रभावशाली तरीके से कहना दोनां ही दो बातें हैं। आज की तारीख़ को हर कोई कहने को बेताब होते हैं लेकिन उन्हें श्रोता नहीं मिलते। मिलते हैं तो सुनाया करते हैं यार पका देगा भाग आ रहा है। वही दूसरे की इंतज़ार किया करते हैं। लोग सुनने के लिए पैसे भी खर्च किया करते हैं। कहो ऐसा कि सुनने वाले पीछे पड़ जाएं।
कहानी है ही ऐसी विधा जिसके ज़रिए हम गंभीर से गंभीर और हल्की सी हल्की बातें कह दिया करते हैं। ख़ासकर व्यंजना और लक्षण में भी भाषा के इस कौशल का इस्ताल किया जाता है। कहानी वही विधा है जिसमें सीधे सीधे कहने की बजाए कहानी के पात्रों के ज़रिए कह दिया करते हैं।
हम सब के पास बहुत सी कहानियां हैं। उनमें से कुछ को कह पाते हैं और कुछ अनकही रह जाती हैं। ं

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