प्लेटफाम पर पसरी दुनिया को देखकर लगता है कितने लोग विस्थापन से गुजरते हैं। उसमें भी दिल्ली के प्लेटफाम 1 और 16 दोनों की दूरियां सामाजिक हैसियत को भी बखूबी बयां करती हैं। चेहरे, सामाजिक दूरियां साफ देख सकते हैं। एक तरफ लगदक बैग, चमकते चेहरे जो राजधानी, दूरंतो आदि तेज गति वाली गाडि़यों में सफर करते हैं और एक वो वर्ग जो अभी भी लंबी दूरी तय करने वाली एक्सप्रेस गाड़ी में यात्रा करते हैं। वही टीस टप्पर, टीवी, कनस्तर लेकर सत्तू खाते, कोक की बोटल में पानी भर कर यात्रा करते हैं।
सर्दी में भी शीतल जल पीते लोगों को देख कर लगता है कि अभी भी विस्थापन रूका नहीं है। जितनी भीड़ प्लेटफाम नंबंर 16,15 आदि पर होती हैं उतनी दूसरे प्लेटफॅाम पर नहीं। हर साल दिवाली, छठ के मौक पर लाखों लोग यूपी, बिहार की ओर भागते हैं। जो छूट जाते हैं वो दिल्ली में रह जाते हैं। विस्थापन क्लास में भी हुआ है। स्लिपर से थर्ड एसी, सेकेंड एसी मंे फलांग चुके हैं। और हवाई जहाज के यात्री में भी संख्या बढ़ी है। जेनरल बागी में सफर करने वालों में भी विस्थापन देखा जा सकता है। क्या ही अच्छा होता कि राज्य सरकारें उन्हें विस्थापन से बचा पातीं।
No comments:
Post a Comment