अन्ना फैशन नहीं हैं. कभी सुना था की कुवर बाबु को कहा जाता था अस्सी saal की उम्र में भी तलवार चमकती थी. विरोधियों के दांत खाते कर देते थे. ठीक वाही हाल है अन्ना जी में.
अन्ना जी की इक आवाज़ में वो माद्दा है जो तमाम युवा और सभी पीढ़ी को इक धागे में पिरो दें. बल्कि पुरो रहे हैं.
इन आगाज़ को देख कर इक बार गाँधी की याद दिलाते हैं.
अगर दिल में न हो किसी भी तरह के पेच तो मजाल है कोई उस आवाज़ को दबा दे.
जब आवाज़ उठेगी तो उसकी उष्मा में दाग पिघल कर पानी होना ही होगा.
अन्ना जी की इक आवाज़ में वो माद्दा है जो तमाम युवा और सभी पीढ़ी को इक धागे में पिरो दें. बल्कि पुरो रहे हैं.
इन आगाज़ को देख कर इक बार गाँधी की याद दिलाते हैं.
अगर दिल में न हो किसी भी तरह के पेच तो मजाल है कोई उस आवाज़ को दबा दे.
जब आवाज़ उठेगी तो उसकी उष्मा में दाग पिघल कर पानी होना ही होगा.
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