न्याय तो हुवा मगर इस न्याय से किसी को कुछ भी नहीं मिला। आखें न्याय की उम्मीद में २५ बरस तक तंगी रहीं मगर जो न्याय मिला वह तो न मिलने के बराबर है। भोपाल में आज से २५ साल पहले दिसम्बर २, ३ की कडकती रात में मिथिल गैस के रिसाव की चपेट में कम से कम १५००० से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई। ५ लाख से अधिक इस गैस से बुरी तरह प्रभावित हुए। रात की नींद इतनी लम्बी होगी किसी ने सोते समय सोचा नहीं होगा। जो सोये वो लोग ताउम्र के लिए सो गए। उनके लिए उनकी बिस्तर ही चिता बन गई। जो बच गए वो किसी काम के नहीं रहे। उस गैस कांड से न केवल मानव बल्कि जानवर भी चपेट में आये।
हाल ही में भोपाल के कोर्ट ने इस गैस कांड में शामिल दोषियों को जिस तरह की सजा मुकरर किया उससे पूरा देश स्तब्ध है । महज़ दो साल जेल और २५,००० रूपये बतौर सजा सुन कर स्पष्ट होता है कि किसे दोषी करार देना है किसे बरी करना है यह सब आप के समपार पर काफी कुछ निर्भर करता है। इस गैस कांड में सीधे तौर पर शामिल अन्दुर्सन को महज़ २५,००० रूपये जामा करा कर राज्य सरकार ने उसे देश से बाहर जाने दिया।
उस गैस कांड में जीवन से हाथ धो बैठने वाले लोगों की चिंता सरकार सेष को कितनी है जिस न्याय से साफ होता है। पैसा पद , संपर्क मजबूत हों तो आपका कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता । बा इज्जत आपको बरी कर दिया जायेगा।
पूरे देश में इस न्याय से लोगों में गहरी निराशा जन्मी है। हालाकि इस जुद्गेमेंट को हाई कोर्ट में चुनौती दी जायेगी। मगर जिस कदर निराश मन के हौसले चकनाचूर हुए उसको क्या होगा। आज भी २५ साल बाद भी वहां लोगों में अपंगता देखे जा सकते है। गैस रिसाव के आस पास के इलाके में आज भी उस काली रात की वारदात के निश्याँ देखे जा सकते हैं।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
1 comment:
dukhad...
गाँधी जी का तीन बन्दर का सिद्धांत-एक नकारात्मक सिद्धांत http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_08.html
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