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Friday, October 2, 2009
गाँधी छाए रहे शास्त्री रहे गायब
गाँधी छाए रहे शास्त्री रहे गायब यानि आज अखबार में अगर कोई चाय है तो वो हैं गाँधी जी। छाए तो वही रहते हैं जिन्हें पाठक देखना या पढ़ना चाहते हैं। गाँधी आज ब्रांड भी बन चुके हैं। उनके नाम पर कलमऔर अन्ये अंतरंज कपड़े बाज़ार में आ चुके हैं। तो गाँधी बाज़ार को भी भाते हैं और आम जनता को भी। मगर शास्त्री जी को इक प्रधानमंत्री के रूप में ही लोग जानते हैं। दो अक्टूबर गाँधी जी के नाम समर्पित है। शास्त्री जी तो हासिये पर नज़र आते हैं । यह कितनी अजीब बात है। कुओंकी शास्त्री जी गरीब थे, सोसेबज्गी से दूर थे इसलिए उनको भुलादिया गया। क्या यह जायज है ज़रा सोचें तो....
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
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