हाँ सही ही तो है ज़रा सोचने में हम डरते क्यों हैं जब कोई आधुनिक विचार आते हैं। हम उसे इक सिरे से नकार देते हैं। पल भर के लिए भी आनेवाले विचार को तारने क्यों नही देते॥ क्यों डर सताता है। इसलिए की हमारी फिदरत होती है की हम नए रस्ते न तो पकड़ते है न ही नये विचार को आकार लेने देते।
हमने आसपास यैसे ही विचारो को पनाह दे रखा है जो सही मायने में हमारी कोई मद्द नही करते
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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