kuch rang hote hain eatne gahre ke..
ta umra cha kar bhi na dho saken,
kuch hote hain,
eatne halke ki,
eak bar me ho jate hain bilkul saf.
kuch ran rab ne dale hain,
jo na dhul pata,
na hi padta hai halka,
umra bhar mah mah karta hai zindagi bhar,
chalo yaisa hi daren koi rang,
jis me ho chuwan,
aapni mitti ki,
aur ho vo sab kuch jise soch kar hi,
maan chak uthe...
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Thursday, March 20, 2008
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
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