अस्लाम वालेकुम
जैसी ही उर्दू स्कूल में प्रवेश किया कुछ स्लोगन हिंदी और इंग्लिश में दिखे। लेकिन जैसे जैसे स्कूल में अंदर जाता रहा वैसे वैसे उर्दू भी दिखने लगी।
अब संतोष हुवा कि यहां बच्चों को उर्दू देखने को मिलती होगी। इस स्कूल की प्राचार्या ने बताया पहले उर्दू नही थी लेकिन एक ऑब्ज़र्वर ने राय दी कि इस स्कूल में कम से कम इन बच्चों को उर्दू देखने, पढ़ने को मिले। हर दीवार, जगह पर उर्दू में लिखीं गईं थीं।
आज की तारीख़ में उर्दू बहुत कम ही जगह पर पढ़ने, देखने को मिलती हैं। आज की तारीख़ ने उर्दू, क्लासिक भाषा की प्रकृति को बदल चुकी है। यैसे में भाषा को बचाना हमारा फर्ज़ है। बधाई यैसे स्कूल के तालीम देने वाले शिक्षक शिक्षिका को जो शिद्दत से बच्चों कोतालीम देने में जुड़े हैं।
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