कौशलेंद्र प्रपन्न
एक इल्मगार ने राय दी कि मैनेजमेंट में भावना के लिए कोई जगह नहीं होती। जो व्यक्ति भावुक होता है वो एक बेहतर मैनेजर नहीं हो सकता। यदि आप मैनेजर बनना चाहते हैं तो भावना को दूर रखिए। वरना दिल,भावना, संवेदना से लोग और कंपनी मैनेज नहीं होती। इसके लिए कठोर और वस्तुपरक होना होता हैकारण यही हैकि एण्क मैनेजर को कई सारे कठोर कदम उठाने होते हैंसंभव हैउसके कदम से किसी की जिं़दगी बदल सकती है।संभव हैकि कोई सडक पर आ जाए।
तथाकथित एक सफल मैनेजर वही माना जाता है जो लोगों से ज़्यादा कंपनी की हित की सोचे। बेशक किसी की नौकरी लेनी पड़े तो भी वह उसे फायर कर देता है। जबकि मैनेजमेंट का सिद्धांत मानता है कि यदि एक व्यक्ति की वजह से दस की टीम प्रभावित हो रही है। काम नहीं कर पा रही है तो उस एक व्यक्ति को मैनेज करना चाहिए न कि पूरी टीम ही बदल दी जाए। ऐसे में कंपनी को मानव संसाधन की हानि होती है।
ऐसी स्थिति ख़ास कर जब दो कंपनियों की मर्जन हो रही होती है या फिर एक्यूजिशन चल रहा हो तो कंपनी की पॉलिशी कई बार मानव संसाधनों पर ही पहला प्रहार करती है। लोगों की छटनी और फायर शुरू हो जाती है। जबकि कंपनी को अपने बेहतर कर्मी को बचाना चाहिए। क्योंकि अंत में काम मैनेंजर की बजाए उनकी टीम किया करती है। हां यह अलग मसला है कि चालाक मैनेजर दूसरे के काम और एवार्ड को भी हाईजेक करने में ज़रा भी नहीं हिचकते।
स्ांवेदनशील होना शायद मैनेजर के लिए उचित नहीं माना जाता। यदि एचआर संवेदनशील हो जाए तो किसी ऐसे व्यक्ति को फायर ही न कर पाए जो पर्फाम ही नहीं कर रहा है। कई मर्तबा एचआर को भी कठोर कदम उठाने पड़ते हैं। लेकिन सवाल यह उठ सकता है कि क्रू मैंनेजर को संवेदनशील होना चाहिए या प्रैक्टिकल? यदि कंपनी को हानि हो रही है तो व्यक्ति को फायर करते वक़्त किस तरह का रूख़ अपनाना चाहिए।
2008-09 की मंदी के दौर में हज़ारों लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं। ऐसे में एचआर और कंपनी को बड़ी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा। एचआर के सामने एक चुनौती यह आई होगी कि कैसे किसी पुराने व अन्य कर्मचारियों को बुलाकर कहा जाए कल से आपको नहीं आना। आप तीन माह की सैलरी ले लें और कल से आपका सिस्टम लॉग आउट हो जाएगा आदि। समझना होगा कि एक मैंनेजर ऐसे फैसले कैसे लेता होगा।
एक बेहतर मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह एक कुशल नेता भी हो। कुशल नेता के साथ ही भविष्य द्रष्टा के गुण भी उसमें हो। यदि कभी उसकी टीम पर कोई जवाबदेही आती है तो उसके लिए वह हमेशा साथ खड़ा हो। बजाए की पीछे हटने के। जो पीछे चला जाता है वह ना तो मैंनेजर हो सकता है और न नेता ही।
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