सभी बच्चां को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा मुहैया कराने की घोषणा 1990 और 2000 में की थी। 1990 जिसे सभी के लिए शिक्षा के नाम से जानते हैं और 2000 में सहस्राब्दि लक्ष्य में तय किया था कि हम सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भेदभाव रहित बुनियादी शिक्षा प्रदान करेंगे। इसके लिए हमने 2015 का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह तय समय सीमा गुजरे भी दो साल बीत चुके हैं। ध्यान हो कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमने 2016 में सतत् विकास लक्ष्य की शुरुआत की। ग्लोबल कंपेन फार एजूकेशन, जीसीइ और नागर समाज ने अब इस लक्ष्य का हासिल करने के लिए शिक्षा 2030 तक की समय सीमा तय की है। इस एसडीजी में कई लक्ष्य बनाए गए हैं किन्तु जो शिक्षा से संबंधित है उसमें लक्ष्य 3 और 4 ख़ास हैं। लक्ष्य चार में घोषित किया गया है कि हम अपने बच्चों को समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करेंगे और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देंगे। इन लक्ष्यों की रोशनी में हमें हमारी क्षमता, गति और नीतियों की जांच करनी होगी। बल्कि कहना चाहिए कि हमें वर्तमान शैक्षिक हकीकतों को भी नजरअंदाज नहीं करना होगा। वर्तमान शैक्षिक चुनौतियों के मद्देनजर अपनी रणनीति और योजनाओं में बदलाव करने होंगे तब संभव हैइस बार हम अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।
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Tuesday, April 25, 2017
सतत विकास लक्ष्य चार और नागरिक सहभागिता
सभी बच्चां को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा मुहैया कराने की घोषणा 1990 और 2000 में की थी। 1990 जिसे सभी के लिए शिक्षा के नाम से जानते हैं और 2000 में सहस्राब्दि लक्ष्य में तय किया था कि हम सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भेदभाव रहित बुनियादी शिक्षा प्रदान करेंगे। इसके लिए हमने 2015 का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह तय समय सीमा गुजरे भी दो साल बीत चुके हैं। ध्यान हो कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमने 2016 में सतत् विकास लक्ष्य की शुरुआत की। ग्लोबल कंपेन फार एजूकेशन, जीसीइ और नागर समाज ने अब इस लक्ष्य का हासिल करने के लिए शिक्षा 2030 तक की समय सीमा तय की है। इस एसडीजी में कई लक्ष्य बनाए गए हैं किन्तु जो शिक्षा से संबंधित है उसमें लक्ष्य 3 और 4 ख़ास हैं। लक्ष्य चार में घोषित किया गया है कि हम अपने बच्चों को समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करेंगे और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देंगे। इन लक्ष्यों की रोशनी में हमें हमारी क्षमता, गति और नीतियों की जांच करनी होगी। बल्कि कहना चाहिए कि हमें वर्तमान शैक्षिक हकीकतों को भी नजरअंदाज नहीं करना होगा। वर्तमान शैक्षिक चुनौतियों के मद्देनजर अपनी रणनीति और योजनाओं में बदलाव करने होंगे तब संभव हैइस बार हम अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।
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