कब मरेंगे पिताजी
कब मरेंगे पिताजी
मां तुम कब मरोगी
मां कब मरेंगे पिताजी,
जब भी मां मरोगी
पिताजी की मिट्टी
होगी जब ठंढ़ी,
वह शाम होगी,
या रात काली,
सोचता हूं जब भी,
ज़बां है थरथराती,
सुझता नहीं है कुछ भी।
मां जब मरोगी
या मरेंगे पिताजी,
हम मिलेंगे खुशी खुशी,
होंगे इकट्ठे सभी,
जो बहन नहीं मिली,
वो भी आएंगी।
तड़पता हूं सोचकर,
तुम न होगी,
न होंगे पिताजी,
बस बची होंगी,
बातें तुम्हारी।
मां तुम कब मरोगी
मां कब मरेंगे पिताजी,
जब भी मां मरोगी
पिताजी की मिट्टी
होगी जब ठंढ़ी,
वह शाम होगी,
या रात काली,
सोचता हूं जब भी,
ज़बां है थरथराती,
सुझता नहीं है कुछ भी।
मां जब मरोगी
या मरेंगे पिताजी,
हम मिलेंगे खुशी खुशी,
होंगे इकट्ठे सभी,
जो बहन नहीं मिली,
वो भी आएंगी।
तड़पता हूं सोचकर,
तुम न होगी,
न होंगे पिताजी,
बस बची होंगी,
बातें तुम्हारी।
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