इक खबर और रिपोर्ट के अनुसार बजट में शिक्षा की बेहतरी के लिए सर्वशिक्षा के मद में हर साल इजाफा हो रहा है लेकिन प्रथम के इक रिपोर्ट की मानें तो मिलने वाले पैसों का अधिकांश भाग रंगे पुताई, रजिस्टर, स्कूल के मरमात में खर्च हो जाते हैं. अगर फीसदी पैसे की बात करें की कितना भाग बच्चों की शिक्षा पर खर्च होता है तो ताजुब होगा सिफर है महज ६ फीसदी ही शिक्षा की बेहतरी पर होता है.
प्रथम ने 14,२८३ हज़ार स्कूल को अपने सतुदी के लिए चुना जिसमे यह हकीकत सामने आया. गौरतलब है की सरकार हर साल सर्वार्शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, उचा शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए पैसों को बढ़ाती रही है. इस बार २०११-१२ की तुलना में २९ फीसदी ज्यादा मिले लेकिन हकीकत यह है. २००९-१० में जहाँ २००,४ करोड़ रूपये मिले यहीं २०१० में ४,२६९ करोड़ रूपये मिले. यदि रूपये पर नज़र डालें तो पायेंगे की हर साल बजट में कमी नहीं है. तो सवाल उठता है फिर पैसे जाते कहाँ है? क्यों स्कूल को शिक्षा के मद में मिले पैसे को इस्तेमाल अन्य कामों में करना पद रहा है ?
बहरहाल, पैसे जहाँ भी जिस के भी जेब में जा रहे हैं वह बच्चों के पहुच से काफी दूर है.
प्रथम ने 14,२८३ हज़ार स्कूल को अपने सतुदी के लिए चुना जिसमे यह हकीकत सामने आया. गौरतलब है की सरकार हर साल सर्वार्शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, उचा शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए पैसों को बढ़ाती रही है. इस बार २०११-१२ की तुलना में २९ फीसदी ज्यादा मिले लेकिन हकीकत यह है. २००९-१० में जहाँ २००,४ करोड़ रूपये मिले यहीं २०१० में ४,२६९ करोड़ रूपये मिले. यदि रूपये पर नज़र डालें तो पायेंगे की हर साल बजट में कमी नहीं है. तो सवाल उठता है फिर पैसे जाते कहाँ है? क्यों स्कूल को शिक्षा के मद में मिले पैसे को इस्तेमाल अन्य कामों में करना पद रहा है ?
बहरहाल, पैसे जहाँ भी जिस के भी जेब में जा रहे हैं वह बच्चों के पहुच से काफी दूर है.
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