संसद में दादा के दिए भाषण से शब्द उधर लें तो नीचे के तथ्य सामने आते हैं-
शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान हेतु 2012-13 के बजट अनुमान में 25,555 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव है, जो कि 2011-12 की तुलना में 21.7 प्रतिशत अधिक है।
· 12वीं योजना में मॉडल स्कूलों के रूप में ब्लॉक स्तर पर 6 हजार स्कूलों की स्थापना का प्रस्ताव है।
· राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान हेतु 3,124 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं, जो कि 2011-12 के बजट अनुमान की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक है।
गौरतलब है की इस पुरे बजट में प्राथमिक और कॉलेज के साथ ही शोध संसथान को क्या मिला यह इक्सिरे से गायब है.
शोध और युनिवेर्सिटी स्तर की शिक्षा के सुधार के लिए साफ साफ़ कोई संकेत नहीं मिलते. इसके पीछे शिक्षा को किस संजीदगी से लिया जाता है इस का पता चलता है. यह हकीकत किसी से छुपा नहीं की आज जितनी आवश्यकता बाज़ार को दुरुस्त करने की है उससे जरा भी कम जरूरत शिक्षा को नहीं है. दिन प्रतिदिन देश की प्राथमिक और युनिवेर्सिटी की शिक्षा महंगी और स्तरहीन होती जा रही उस की चिंता सरकार को न जाने क्यूँ नहीं है.
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