जब जमीन से ऊपर होते हैं तब हमारा ही अपना कद स्थिर और बाहर की दुनिया भागती दिखाई देती है. दरअसल बाहर की दुनिया स्थिर होती है और हम भाग रहे होते हैं. ये नदियाँ और नाले, रोड और हमारे झोपड़ सब के सब इक बड़े गोले या रेखावों की तरह दिखाई देती है.
पहाड़ को भी आशीष देने को बाजुएँ उठ सकती हैं जब आप ऊपर उड़ रहे होते हैं. गोया पहाड़ धरती पर उग आये फोड़े फुंसी से गर्मी में उग आये हों. यहीं नदियाँ यूँ फोड़े फुंसी से निकल रही निरंतर धार सी लगती हैं.
सब के सब खामोश,
नदियाँ, पहाड़,
रोड,
नाले,
घर,
पुल
सब के सब खामोश,
खुद में गम होते हैं.
सब आप या हम भाग,
उड़ रहे होते हैं....
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