शिक्षा की जान दे कर चुकाई कीमत पाकिस्तान के ४ बच्चों ने. उनका कुसूर महज इतना था की वो इंग्लिश स्कूल में पढ़ते थे. यह बात तटप के लोगो को पसंद नहीं आई. सो उन बच्चों को स्कूल से लौटते टाइम बस अगवा कर गोली से भुन दिया गया.
सरकार या हुकमत जो भी नाम दे वो क्या इस जीमेदारी से बच सकती है की शिक्षा पर बच्चों का हक़ है और सरकार की जिमीदारी बनती है की बच्चों की हिफाज्द करे.
उस देश में या भारत में बच्चे सरकार की प्राथमिकता की सूचि में शायद निचले पायदान पर खड़े होते हैं. क्या इस लिए की वो चुनावों में मत पेटी भरने में मदद नहीं करते?
आवाज़ तो उठनी ही चाहिए वहां या यहाँ जहाँ हज़ारों बच्चे शिक्षा भूख और असुरक्षा से रोज़ दिन जूझते हैं.
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