क्या गजब है की इक दिन बेटी दिवस साल के बाकि दिन गली , उपेक्षा, शिक्षा से भी महरूम करना कुछ समझ नहीं आता.
पूजा , अर्चना , आरती या कोई aur नाम भी शामिल हो सकता है जिन्ह्हे पढने जीवन के रु बा रु परेशानियौं को सहते गुजरता है तो क्या बंधू यही है बेटी दिवस.
सोचना तो होगा जिनको हम हर पग पर बेटी होने के दंश देते हैं. इक दिन छाए वो कंजक पूजा का दिन हो या बेटी दिवस हम उन्हें अचानक तवाज़ो देने लगते हैं.
बेहतर हो की इक दिन के सम्मान देने की बजाए रोज दिन की जलालत से निजात दें पायें.