देवनागरी का आधा स को रुपया का प्रतिक मान लिया गया। हर किसी ने इसे कुबूल कर लिया। कहीं किसी और से भी सवाल नहीं उठे। यानि जो भी लाड दिया जायेगा उसी को मान लेना क्या हमारी मज़बूरी है। मानलिया कि रुपया के प्रतिक बनाने वाला आई आई टी का स्टुडेंट है है। हजारो में में से उस के इस काम को अंत में इस लायक माना गया कि उसपर स्वीकृति की मुहर लगी।
इक भाषा के विद्वान या भाषा वैजानिक इस प्रतिक को र तो मान सकता है लेकिन यह रु कैसे है यह समझ से बाहर कि बात है। यह पहली नज़र में देवनागरी के स का हराश्वा रूप लगता है। स का तय रूप ही आध रूप स को हलंत लगा कर बनाया जा सकता है
लेकिन हमारे देश में कई चीजें ऊपर युपर ही तै हो जाया करती हैं।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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bat hai to alfaz bhi honge yahin kahin, chalo dhundh layen, gum ho gaya jo bhid me. chand hasi ki gung, kho gai, kho gai vo khil khilati saf...
4 comments:
कृपया यह चेक कीजिये कि रुपये के इस नये निशान में ऊपर-नीचे-आगे-पीछे से कितने "क्रास" बन रहे हैं… :) :)
Aap ke parakh ki daad deni hogi. ki jo kisi ne nahi socha ya dekha vo aapne dekha. Aap bahut sahi hai ki jab b maine is nishan ko pen se likhne ki koshish ki to ye hindi ke aadha sa ke jaisa hi lagta hai.
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