रुका हुवा दौरे वार्ता चल पड़ी। भूटान की राजधानी थिम्पू में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बीच हुई बातचीत से उम्मीद बंधी है कि रुकी हुई वार्ता की ट्रेन चल पड़ेगी। पिचले साल शर्म अल शेख में हुई मुलाकात का कुई खास असर इसलिए दिखाई नहीं दिया क्योकि पाकिस्तान ने किये वादे को पूरा नहीं कर सका। बतौर पाक की ज़मीन का इस्तमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ने में किया जाता रहा। यही वजह है कि वार्ता रुक गई थी।
दोनों देशों के बीच इस वार्ता से राजनिक के लेवल की वार्ता शुरू होगा। बेहतर है मामले वार्ता से सालता लिए जाये। वर्ना वो भी कमतर नहीं। हम भी तो बाज नहीं आयेंगे। और दोनों की आन शान में बिला बजह आम नागरिक परशान होंगे।
भारत और पाक के रिश्ते के कई आयाम हैं। कई मोड़ हैं। उन मोड़ और रेशे को समझना होगा। तभी दोनों देशों के रिश्ते के खटरस समझ पाएंगे। दरअसल १९४७ के सपने पाकिस्तान की आखों में है। वो कश्मीर को लेने में कोई कसार उठा नहीं रखना चाता। और भारत भी कैसे कश्मीर को दान कर दे। यहीं पर दोनों देशों के रिश्ते की उष्मा दबी है।
बेहतर हो की सियाचिन, पानी, कश्मीर के मामले को बातचीत के ज़रिये सल्ताया जाये। वर्ना पाकिस्तान का विकास रुका है अब डाउन होना शुरू होगा। इकोनोमी का बड़ा हिस्सा तो वह सेना पर खर्च करता है। तो यैसे में बाकि शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार आदि पर ध्यान देना संबव नहीं।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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