Sunday, January 31, 2010

गाँधी बाबा सुन लो ना

बाबा आप क्या गए आपके साथ आपके तीनो बन्दर भी चले गए। हमें अब बुरा देखने, सुन्सुने, और बोलने में ज़रा भी शर्म नहीं आता। आप क्या गए भारत में कई भारत बसने लगे। हाल की ही बात है अपनी मुंबई , ताजुब हो रहा होगा कि यह कहाँ कि बात बता रहा हूँ, लेकिन बाबा आप के चले गाने के बाद हमने नै नै नाम इजाद किये हैं। आप तो मद्रास जानते होंगे। कलकत्ता का नाम भी आप के लिए अन्य शहरों की तरह है। मगर आप का मद्रास अब चन्नी हो गया। कलकत्ता कोलकत्ता हो गया। और तो और दिल्ली को तो आप से बेहतर क्या कोई जन सकता है। यहीं तो आपने अंतिम बार प्राथना में मौन हो गए।
अब तो आपके समय का लुटियन जों का नाम भी हमने बदल दिया अब वह ज़गह राजीव गाँधी और इंदिरा गाँधी के नाम से जाना जाता है। हमने तो आपके जाने के बाद सब कुछ नै सिरे से सब कुछ सजाया। सुन रहे हैं बापू ? आपकी अश्थी महा सागर में विसर्जित की जा चुकी है। आपकी प्रपोत्र के हाथों आप अब महासागर में जा मिले। चलिए बाबा कभी इधर आना हो तो अपने साथ अपना आईडी ज़रूर लाना। वर्ना मुश्किल में पद जायोगे। हाँ बाबा अगर मुंबई जाना ही हो तो मराठी सिख लेना नहीं तो कभी भी महाराष्ट्र से ख्देरे जा सकते हो।

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