सच ही तो है
तुम साथ होते हो तो
लगता है सूरज
इतना करीब है की
अंजुली में रख कर
निहार सकती हूँ
कि छु सकती हूँ
हर पल
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Friday, June 27, 2008
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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