Monday, March 25, 2019

वैमनस्य नहीं प्यार रह जाता है


कौशलेंद्र प्रपन्न
आपको क्या लगता है हमारे जाने के बाद क्या बचेगा? क्या रह जाएगा हमारे बाद? ये सड़कें, ये नदी, ये पहाड़ आदि आदि तो रहेंगे ही। रह जाएंगे कुछ और बरसे हमारे साथ के लोग। जो याद किया करेंगे। हमारे प्यार को। हमारे व्यवहार को। और याद रह जाएंगी साथ बिताए पल। जिसमें वो तमाम चीजें शामिल हैं जिन्हें हम जी कर जाएंगे।
जिनके साथ रूसा रूसी थी। जिन्हें देखना पसंद नहीं किया करते थे। पसंद तो उनका बोलना भी खलता था। खलता था जैसे वो देखा करते थे। लेकिन उनके जाने के बाद उनके साथ बिताए पल पीछे छूट जाती हैं।
वैमनस्य की आयु उतनी लंबी नहीं होती जितनी प्यार की हुआ करती है। प्यार भरे पल ज्याद साथ रह जाया करती हैं। वैमनस्य एक समय के बाद धीमा पड़ जाता है। रह जाती हैं तो बस बिताए हुए सुखद पल। कभी कभी वैमनस्य वाले पल भी हमें रह रह कर कोचते हैं किन्तु उनके जाने के बाद वो भी धूमिल हो जाता है।
जिनसे सोचा था लड़ेंगे। ऐसा कहेंगे। वैसे लड़ेंगे। यह भी कहेंगे। वह भी कह कर लड़ेंगे आदि आदि। लेकिन जब मालूम चला वो तो चले गए। फिर किससे लड़ेंगे। कौन होगा जिनके अपने मन की बात करेंगे। उनके जाने के बाद सारी रंजिशें यहीं रह जाती हैं। रह जाता है तो बस प्यार।

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