कौशलेंद्र प्रपन्न
श्री पंकज चतुर्वेदी जी के सानिध्य में तकरीबन चालीस शिक्षकों ने आधे घंटे में अख़बार और पत्रिकाओं का बनाकर अपनी कल्पनपाशीलता का परिचय दिया।
हमारा मकसद था कि शिक्षकों को बाल साहित्य के बारे में जानकारी देने के बाद उनसे बच्चों के लिए चित्रात्मक पुस्तक/पत्रिका और अख़बार बनवाया जाए। इसमें एक बात जो ख़ास थी वो यह था कि शिक्षकों ने इससे पहले कभी भी इस प्रकार का काम नहीं किया था।
आयु, स्तर और बाल मन को टटोलते हुए पत्रिका को जन्म देना था। साथ ही पत्रिका और अख़बार निर्माण की प्रक्रिया में किन किन मोड़ों,अड़चनों और चुनौतियों से गुजरना होता है उसे भी साझा किया जाए।
चालीस शिक्षकों की टीम को बीस बीस में बांट दिए गए। उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई कि आपस में ही संपादकीय मंडल, चित्र निर्माता और कंटेंट लेखक की टीम बनाएं।
लगभग आधे घंटे में एक मुकम्मल पत्रिका सब के सामने आई। वहीं अख़बार भी बन कर तैयार था। श्री पंकज जी ने अनुरोध किया कि शिक्षक इस काम को अपनी कक्षाओं में लेकर जाएं। बच्चों को दिखाएं और कोशिश करें कि बच्चे खुद यह कर सकें।
8 comments:
बहुत अच्छा प्रयास ☺
शुक्रिया मेघा जी
मेरा क्या है? सब कुछ तेरा
सब कुछ लिया उधार
सारा लोहा उन लोहों का
मेरी केवलः धार
पंकज जी ऐसे क्रिएटिव वर्क के लिए ही बने हैं अभी बहुत बड़ा वर्ग उनसे इसी तरह की रचनात्मक कोशिशों की उम्मीद रखता है यह आयोजन भी उन्ही कोशिशों का एक हिस्सा है बहुत बहुत बधाई हो
गौरव ji और पंकज भाई आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहे .
शिक्षक और लेखक जुड़ते रहेंगे
वाह, बहुत बढ़िया प्रयास
ऐसे रचनात्मक कार्यों के लिए ही आप बने हो। शुभकामनायें
आप ऐसे ही रचनात्मक कार्यों के लिए बने हो। शुभकामनायें
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