हिन्दी की कार्यशाला में इस बार 12 से 14 के दरमियान 15 प्रतिभागी थे। इस कार्यशाला में पहले दिन डाॅ रमेश तिवारी, डाॅ जय शंकर शुक्ल और तीसरे दिन श्री कौशलेंद्र प्रपन्न बतौर प्रशिक्षिक थे। पहले दिन कहानी शिक्षण पर डाॅ तिवारी के बातचीत की। वहीं दूसरे दिन डाॅ शुक्ल ने कविता शिक्षण के तौर तरीकों पर विस्तार से गतिविधियों को शामिल कर शिक्षण कौशलों पर संवाद किया। तीसरे दिन श्री कौशलेंद्र प्रपन्न ने भाषा शिक्षण, भाषा कौशल और भाषायी परिवेश और बच्चों के शिक्षण में भाषा के महत्व पर बातचीत की।
उद्देश्यः
ऽ प्रतिभागी शिक्षण कार्यशाला में भाषा की
समझ और भाषायी शिक्षण कौशलों से वाकिफ हो सकेंगे
ऽ कहानी कविता और
हिन्दी की अन्य विधाओं को कैसे रोचक तरीके से पढ़ाया जाए इसकी जानकारी हासिल कर कक्षा में इस्तमाल कर सकेंगे
ऽ स्वयं और
बच्चों में कल्पनाशीलता और रचनात्मकता के अवसर निकाल सकेंगे
तीन दिवसीय हिन्दी की कार्यशाला में कक्षा 4 और 5 के शिक्षक उपस्थित थे। इस कार्यशाला के उद्देश्य जैसा कि उपरोक्त लिखा गया है हमने तीन दिन की कार्यशाला को इसी के अनुरूप बाटा था।
पहले दिन डाॅ रमेश तिवारी ने प्रतिभागियों के साथ कविता शिक्षण पर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने गतिविधियों के जरिए कविता शिक्षण पर व्यापक परिचर्चा की। साथ गतिविधियों के मार्फत कैसे पढ़ाया जाए इसे उदाहरण के जरिए प्रस्तुत किया और सामूहिक प्रस्तुति भी कराई गई।
दूसरे दिन डाॅ जय शंकर शुक्ल ने कहानी शिक्षण पर सामूहिक कार्य तो कराया ही साथ ही प्रतिभागियों से कहानी लेखन का कार्य को भी अंजाम दिया गया।
तीसरे दिन श्री कौशलेंद्र प्रपन्न ने भाषा शिक्षण, भाषा कौशल, भाषा का परिवेश, भाषा का समाज और बच्चों में भाषा यानी हिन्दी के संदर्भ में रूचि कैसे पैदा की जाए इस पर बातचीत की। वहीं अंधेर नगरी कविता का नाट्य मंचन भी किया गया।
कौशलेंद्र प्रपन्न
हिन्दी भाषा विभाग
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