जिधर से बाॅस आते हों,
उधर दांत निपोर कर हो जाता हूं खड़ा,
जहां बैठते हैं उसके इर्द गिर्द,
मडराने लगता हूं।
मैंने भी मोटी कर ली है अपनी चाम-
वो कितना भी भला बुरा कहे,
कोई असर नहीं
बस मंुह पर मुस्कान,
जी हां जी हां का जाप।
जिधर तू चलेगा-
जह जह विराजे,
वहीं तेरी स्तुति गान हो जाए शुरू,
देखते हैं,
इस बरस कौन है जो रोक ले।
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