शहर जो यादों में बस्ता है उसे टा उम्र भूल नहीं पाते। वह शहर हमारे साथ डोलता रहता है। कभी इतना वाचाल हो जाता है कि कुछ न बोल कर भी सब कुछ कह जाता है।
मरने के बाद हमारी इक्षा होती है कि हमारी अंतिम यात्रा अपने शहर में ख़त्म।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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