Wednesday, April 10, 2019

टाइटेनिक के डूबने का मायने



कौशलेंद्र प्रपन्न
टाइटेनिक के डूबने का गहरा अर्थ है। डूबने के बाद कई तरह के विमर्श हुए। उस जहाज के डूबने के पीछे क्या वजहें थीं इसके पीछे भी ख़ास मंथन हो चुका है। जो सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है वह यही है कि कैप्टन का अति आत्मविश्वास और दूरद्रष्टा की कमी। यदि फिल्म का वह दृश्य याद करें तो उसमें साफतौर पर अतिआत्मविश्वास की ठसक सुनाई देती है। सभी का यही मानना था कि यह जहाज पूरी तरह से आधुनिक संसाधनों और औजारों, तकनीक से लैस है। यह कभी डूब नहीं सकती। आदि आदि। हुआ क्या? टाइटेनिक डूबी। डूबी क्यों? कैप्टन अपने आत्मविश्वास में दूरदृश्यता का परिचय नहीं दे पाया। वह यह भी अनुमान नहीं लगा सका कि सामने जो आईस बर्ग दिखाई दे रही है उसका वास्तविक आकार और दूरी कितनी है आदि।
मैंनेजमेंट में भी इसे गहराई से समझने और अध्ययन करने की आवश्यकता है। यदि किसी प्रोजेंक्ट का लीडर नियंता दूरदर्शी नहीं है तो संभव है ऐसे प्रोजेक्ट या संस्थान को डूबो सकता है जिसके बारे में माना जा सकता है कि यह कंपनी बलंद है और बंद नहीं हो सकती। उदाहरण के लिए विश्व में बड़ी बड़ी कंपनियों की मिर्जिंग व विलयन की घटनाओं को सामने रख कर समझने की कोशिश करें तो यह बात और स्पष्ट हो सकती है। रैनबैक्शी का दाइची में विलय होना और फिर दाइची से सन फार्मा में विलयन को साधारण घटना नहीं मानी जा सकती। इसके पीछे लीडर की अदूरदर्शिता और लापरवाही साफ दिखाई देती है। सिर्फ एक कंपनी का मसला भर नहीं है बल्कि रिलायंस ने कई मीडिया घरानों को अपने में विलय कर लिया। वहीं सत्यम को टेक महिन्द्रा लिमिटेड में विलय होना भी अपने आप में आंखें खोलने के लिए काफी हैं। उक्त जितनी भी विलय की बात की गई हैं सब के सब अपने समय की स्थापित और बड़ी कंपनियों में कहीं न कहीं लीडर की निर्णयात्मक क्षमता और अतिआत्मविश्वास के साथ ही निर्णय कमी साफतौर पर समझी जा सकती है।
कोई भी कंपनी या प्रोजेक्ट का सफल बनाने और उसे सही राह पर चलाने में केवल और केवल बजट ही अहम नहीं होते बल्कि उस बजट का सदुपयोग और सही वजह के लिए खर्च करने और कटौती करने जैसे निर्णय लेने पड़ते हैं। लेकिन यदि इस बिंदु पर लीडर गलत निर्णय ले ले तो उसका असर प्रोजेक्ट पर प्रकारांतर पर निश्चित ही पड़ता है। डूबते हुए प्रोजेक्ट को बचाना भी एक जोखिमभरा काम होता है। यदि किसी कंपनी से कर्मचारी छोड़कर लगातार जाने लगें तो यह एलॉर्मिंग स्थिति होती है। लीडर को इसका विश्लेषण करना चाहिए कि क्यों किसी भी कंपनी या प्रोजेक्ट से क्षमतावान कर्मी छोड़कर जा रहे हैं। कहीं निराशा और भविष्य की प्रोन्नति न दिखाई देने की स्थिति में कर्मी जा रहे हैं तो इसके लिए आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाने और येजनाबद्ध तरीके से स्थिति को संभालने की आवश्यकता पड़ती है।
मैंनेजमेंट के जानकर मानते हैं कि काफी हद तक कर्मी के कंपनी छोड़जाने के पीछे कई बार मैंनेजर के व्यवहार और मैंनेजर बड़ा कारण होता है। दूसरे शब्दों में मैंनेजर व बॉस की वजह से सक्षम और दक्ष कर्मी कंपनी या प्रोजेक्ट छोड़ने पर मजबूर होते हैं। इससे हानि बॉस या मैंनेजर ये ज्यादा उस कंपनी या प्रोजक्ट को उठानी पड़ती है। तथ्य तो यह भी है कि किसी भी कर्मी के जाने व आने कंपनी या प्रोजेक्ट न तो बंद होते हैं और न कोई काम रूकता है। लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि एक सक्षम और दक्ष कर्मी की तलाश में समय लग जाता है।

1 comment:

Unknown said...

अतिआत्मविश्वास घातक है। बहुत अच्छा।

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