Friday, March 29, 2019

मैंनेजर का दिल


कौशलेंद्र प्रपन्न
है न दिलचस्प बात कि मैंनेजर के भी दिल हुआ करते हैं। यूं तो कहा जाता है मैंनेजर यदि दिल के काम करने लगे तो वह अच्छा व श्रेष्ठ मैंनेजर की अहर्ता खो देता है। यदि मैंनेजर दिल के काम करने लगे तो प्रोजेक्ट के डूबने के भी चांस काफी होते हैं। लेकिन कहा तो यह भी जाता है कि एक अच्छा मैंनेजर दिल और दिमाग के समुचित योग से बेहतर प्रदर्शन कर पाता है। कहते तो यह भी हैं कि यदि मैंनेजर सभी को दोस्त बना ले तो वह भी ठीक नहीं। यानी मैंनेजर के पास एक ऐसी फाइल होती है जिसमें ज़रूरी, बेहद ज़रूरी, अत्यंत ज़रूरी और गैर ज़रूरी, निहायत ही गैर ज़रूरी कामों को डम्प करता है। वह काम की प्रतिबद्धता और महत्ता को परखते हुए अपने कामों को प्राथमिकता की श्रेणी में डालता है।
मैंनेजर दिल की बात नहीं करता। यदि वह दिल से बातें करने लगेगा तो वह प्रोजेक्ट कहीं न कहीं नुकसान ही पहुंचाएगा। दिल लगाने से मतलब यह भी हो सकता है कि वह अपने काम से तो दिल लगता है व्यक्ति से नहीं। व्यक्ति तो आते जाते रहते हैं। लेकिन प्रोजेक्ट पर असर नहीं पड़े इसको लेकर मैंनेजर सजग होता है।
मैंनेजर को मालूम होता है कि उसे कब, कहां, किससे, कितना और कैसे बोलना है। कैसे बातों को प्रस्तुत करना है। इन कौशलों में वह दक्ष होता है। यदि दक्षता नहीं तो वह मैंनेजर बेहतर नहीं। बोलने में दक्ष होता है तो वह मुश्किल से मुश्किल दौर और समय को भी बेहतर तरीके से डील कर लेता है। कमजोर मैंनेजर वह माना जाता है जो उक्त कौशलों में दक्ष नहीं।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...